राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है
भगत राम सुस्त है
अभी तो जीने के दिन आये थे
बाल बच्चों के शादी ब्याह निपटाये थे
जवानी के कुछ अरमान भी बाकी थे
बीवी के संग फुर्सत के क्षण भी कहाँ बिताए थे
मायूस हो कर यमराज के दूत को निहारा
काले चेहरे पे सजी लाल आँखों से कतरा कर
हथेली से अपने सीने को दबाया
पनीली आँखों से नीचे जो झाँका
मौत कि सच्चाई से मानो पर्दा हो सरका
चारों तरफ घर मैं मचा था कोहराम
बारिश शुरू होने से पहले बुढ्ढे को उठाओ
अभी दिल्ली वाली जीजी नहीं आईं और पटना वाली भौजाई
बड़े बेटे ने सबको सूचना है भिजवाई
छोटा बेटा भी अपनी बहुरिया के संग पधारा
जीते जी तो कभी मिलने भी ना आया
दुःख कम और गुस्सा ज्यादा आते ही फुंकारा
बाबूजी चले गए पर मुझे क्या दे गए
मंझली बिटिया ने छोटी के कान मैं फुसफुसाया
आजकल तो बेटियों का भी हिस्सा होता है
बीवी ने अपनी आँखें तरेरीं
कोठी और दुकानों पर पहला हक़ मेरा है
इतने में आयी बड़ी भाभी की सवारी
लल्ला जी के जाने के दुःख के बोझ से भारी
मोटी अँखियाँ उठा कर जो मुर्दे को देखा
हाए ! से जैसे कलेजा ही मुँह को आया
अभी तक गले की चैन भी ना उतारी
हीरे कि अँगूठी को भी जल्दी निकालो
अर्थी चल दी तो कुछ ना मिल पायेगा
बड़का जल्दी से आगे को आया
खींच तान कर सोना चांदी निकाला
छोटी ने जल्दी से हाथ बढ़ाया
आखिरी निशानी को पल्लू मैं दबाया
कितनी मुश्किल से ख़ुशी को छुपाया
गुप्ता पडोसी की बीवी जो सिसकी
भैया जी चले गए , भैया जी चले गए
मन मैं कुलमुलाती दो महीने रुक जाते
पप्पू को स्कूल से वो ही तो लाते
गर्मी कि छुट्टी बस होने ही वाली थी
बस वाले कि पूरी फीस देनी पड़ेगी
उसका रोना किसी की समझ मैं ना आया
नौटंकी समझ के मुँह को बिचकाया
केशव ने बिस्मिल को कोहनी भी मारी
लगता है चक्कर था दोनों का कुछ तो
भगत के मरने पे कितनी दुखी है
गुप्ता बेचारे को कैसी बीवी मिली है
अर्थी को फूंकने कि जल्दी सभी को थी
दो दिन मैं सारा क्रिया कर्म निपटाया
रिश्तेदारों कि पलटन को जैसे तैसे भगाया
माँ को अब बारी बारी सब ही संभालेंगे
दो - दो दुकानो के मिलने कि आशा है
अम्मा के गहनो की बहुओं को अभिलाषा है
बाबूजी के बाद अब अम्मा की बारी है
जिसके पास रहेंगी उसकी पौ बारह है
मिल जुल के रहने मैं सबका भला है
लड़ने से हिस्सा गंवाने का खतरा है
बहनो कि जैसे अब आँखें खुली हों
भैया और भाभी से मैयका हमारा है