दो हिस्सों में बटी ज़िन्दगी में
मसरूफियत बहुत है
किसी की महकती यादों में
किसी के दिए हुए घावों मैं
हर रोज़
बेशकीमती पलों को मेहफ़ूज़ रखना है
और खुले जख्मो की खंदक को भरना है
कभी कुछ सहेजना है
कभी कुछ सुधारना है
कुल मिला कर ये कहूं की
वक़्त के द्वारा
की गयी तोड़ फोड़ से
रख रखाव बहुत है