तेरे आने कि कोई उम्मीद नहीं फिर भी
हर राह पे चिराग जलाये रखते हैं
कभी गुज़रे किसी और के संग ही तू
अश्क़ की बूंदों से फूल खिलाये रखते हैं
तुझसे मिलने कि मंज़ूरी नहीं फिर भी
एक अरमान सीने मैं दबाये रखते हैं
कभी मिल जाए अनायास ही कहीं
होठों पे एक हंसी सजाये रखते हैं
तुझे पाने कि हसरत तो नहीं फिर भी
एक आरज़ू दिल मैं छुपाये रखते हैं
कभी दामन छू जाए किस्मत से कहीं
एक लकीर हाथों मैं बनाये रखते हैं
तू भूल जाए , ऐसा तो नहीं फिर भी
अपने चेहरे से चिलमन उठाये रखते हैं
किसी राहगीर से मिल जाए सूरत तेरी
यही सोच कर तलाश अब भी जारी रखते हैं
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