रंग सारे तूने नज़ारों में बिखेर कर
बचे हुए काले रंग से मेरी ज़िन्दगी रंग दी
तू करता रह स्याह इसे और भी ज्यादा
मैं जल जल के इसे रोशन करती रहूंगी
तू डालता रह पत्थर राहों में रोज मेरे
मैं जोड़ जोड़ उनको स्तम्भ बना लूंगी
यही ज़िद है अगर तेरी अब मेरे खुदाया
तो मैं भी अब तुझको शिकस्त दे के रहूंगी
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