प्रिय नेहा और प्रतीक ,
तुम्हारा विवाहोत्सव मानो
शीत ऋतू में बसंत का आगमन
वह अपूर्व दिन , जब नेहा तुम
अप्रतिम सौंदर्य और आकर्षक
व्यक्तित्व की मलिका
चहकती इठलाती कोकिला की भांति
दुल्हन बन आ रही हो हमारे अंगना
कहीं स्वप्निल रंगो की बहार है
तो कहीं उमंगो की आतिशबाजी
जगमगा रहा है इस मंडप परिसर
का कोना कोना
और तुम्हारे स्वागत और आगमन को
उल्लसित और पुलकित मन से आतुर हम सब
मन में यही मनोकामना लिए
सुख और सौभाग्य से परिपूर्ण रहे तुम्हरा जीवन
उठ रही हैं प्रतीक के ह्रदय में भी
स्वप्निल संसार की अभिलाषाएं
और मुखर हो रही हैं मुख मंडल पर
एक स्निग्ध मुस्कान के रूप में
दिल में उमड़ते अनुराग से
गुलाबी नगरी को और गुलाबी करती
प्रेम और विश्वास के अटूट बंधन से बंधी
नेहा के प्रतीक तुम्हारी युगल जोड़ी
- मंजरी-
२३-११-२०१७
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