तुम चाहो या ना चाहो
तुम्हारी राहों मैं खड़े
हम मुस्कुराते थे
तुम नज़रें झुकाते थे
शर्माते थे ,
घबराते थे। ...
तुम मानो या ना मानो
जो दिल्लगी थी हमारी
वो दिल की लगी है
एक बेचैन प्यास है
आरज़ू है ,
इंतज़ार है ....
तुम जानो या ना जानो
तुम्हारी जुदाई के ख्याल से
होश गुम है
सासें रुकी हैं
दीवानगी है ,
बेकसी है ......
तुम्हारी राहों मैं खड़े
हम मुस्कुराते थे
तुम नज़रें झुकाते थे
शर्माते थे ,
घबराते थे। ...
तुम मानो या ना मानो
जो दिल्लगी थी हमारी
वो दिल की लगी है
एक बेचैन प्यास है
आरज़ू है ,
इंतज़ार है ....
तुम जानो या ना जानो
तुम्हारी जुदाई के ख्याल से
होश गुम है
सासें रुकी हैं
दीवानगी है ,
बेकसी है ......
तुम समझो या ना समझो
हमारे बीच अब जो फासले हैं
वो किस्मत की बात है
जब इज़हार -ए -मोहब्बत करनी थी
कभी तुम नहीं थे ,
और कभी हम नहीं थे .....
1 comment:
Bilkul matching hain in times :p
nice poem work...
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