ऐसा भी एक पल आये किसी रोज़
जब तेरी सुबहें हो बस मेरी खातिर
और मेरी शामें हो बस तेरी जानिब
जब तेरी नज़रें उठे बस मेरे मुखातिब
और मैं नज़र आऊं बस तेरे मुताबिक़ ........
जब तेरी सुबहें हो बस मेरी खातिर
और मेरी शामें हो बस तेरी जानिब
जब तेरी नज़रें उठे बस मेरे मुखातिब
और मैं नज़र आऊं बस तेरे मुताबिक़ ........
ऐसा एक लम्हा भी गुज़रे किसी रोज़
जब तेरे ज़हन में फ़क़त मेरा ख़याल हो
और मेरे ज़ज़्बातों मैं बस तेरा बयान हो
जब तेरे आगोश में मेरी बसर हो
और मेरे पहलु में तेरा आगाज़ हो ........
जब तेरे ज़हन में फ़क़त मेरा ख़याल हो
और मेरे ज़ज़्बातों मैं बस तेरा बयान हो
जब तेरे आगोश में मेरी बसर हो
और मेरे पहलु में तेरा आगाज़ हो ........
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ऐसा एक दौर भी आये किसी रोज़
जब तेरी ख्वाहिशों की इल्तिमास हो
जब तेरी ख्वाहिशों की इल्तिमास हो
और मेरे इंतज़ार की इज़्तिराब हो
जब तेरे ख्वाबों की तामील हो
और मेरी दुआएं खुदा को कबूल हो ........
जब तेरे ख्वाबों की तामील हो
और मेरी दुआएं खुदा को कबूल हो ........
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