कुछ फूल
जो तुम्हे नज़र न कर सके
आज भी गुलदान मैं
सजाये हुए रखते हैं
कुछ बातें
जो तुम्हे कह न सके
आज भी होठों में
दबाये हुए रखते हैं
कुछ तोहफे
जो तुम्हे भेंट न कर सके
आज भी अलमारी में
छुपाये हुए रखते हैं
कुछ आंसू
जो तुम्हे देख न सके
आज भी आँखों में
छलक छलक बहते हैं
कुछ ख्वाब
जो पूरे न हो सके
आज भी रातों में
जगाये हुए रखते हैं
कुछ दुआएं
जो तुम्हे दे न सके
आज भी हाथों में
उठाए हुए फिरते हैं
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