These are the penned thoughts that evokes in my mind and took the shape of poems, stories and articles.....
Tuesday, April 23, 2013
Monday, April 22, 2013
बंसी
श्याम तोहे बंसी बजावे न दूँगी
तू बंसी बजाके मुझको बुलावे
बंसी की धुन मोरी सुध बिसरावे
ऐसे अब तुझको सतावे न दूँगी
अब तोहे बंसी बजावे न दूँगी। ...
अब तोहे बंसी बजावे न दूँगी। ...
कल शाम पनिया भरण जब आयी
गगरी डुबोई, चुनरी भूल आयी
घर पहुंचवे की जगह बगिया हो आयी
तूने अजब ऐसी बंसी बजायी
अब तोहे बंसी बजावे न दूँगी। ...
सब सखिया ग्वाल- बाल देते हैं ताना
मोहे ऐसे तू छल न करके बुलाना
राधा तो तेरी है तेरी रहेगी
तेरी छबि मेरे मन में बसी है
पर, श्याम तोहे बंसी बजावे न दूँगी। ...
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