हाथों की लकीरें
उन नज़रों की चिलमन ने
एक नया पैराहन दिया
अब कोई और हमे कैसे देखेगा
उस मखमली हंसी की छूअन ने
एक ऐसा एहसास दिया
अब इससे भी मुलायम क्या होगा
उनको पाने की हसरत मैं
हर ख्वाहिश से बेज़ार हुए
अब कोई और आरज़ू क्या होगी
मेरे हाथों की लकीरों मैं
उनका नाम जो पाया
अब उससे भी ज्यादा किस्मत क्या देगी
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