कल कमरे की सफाई से
एक तस्वीर मिली पुरानी सी
कुछ गर्द झाड़ कर हाथों से
टांग दी दीवार पर
रौनक सी बढ़ी कमरे की
और साथ ही........
कुछ रद्दो - बदल कर यूँही
गुज़रती रही ज़िन्दगी हौले धीरे
पुरानी किताब के पन्नो मैं दबी
गुलाब की पत्तियां सूखी सी
कुछ पानी डाल कर प्याले में
सजा दी तिपाई पर
खुशबु सी उडी कमरे में
और साथ ही........
कुछ रद्दो - बदल कर यूँही
गुज़रती रही ज़िन्दगी हौले धीरे
कोने में पड़े साज़ के तारों को छेड़ कर
एक लहर उठी धीमी सी
कुछ बीते अफ़सानो की
यादें दोहरा कर
धुन सी छिड़ी कमरे में
और साथ ही........
कुछ रद्दो - बदल कर यूँही
गुज़रती रही ज़िन्दगी हौले धीरे
एक तस्वीर मिली पुरानी सी
कुछ गर्द झाड़ कर हाथों से
टांग दी दीवार पर
रौनक सी बढ़ी कमरे की
और साथ ही........
कुछ रद्दो - बदल कर यूँही
गुज़रती रही ज़िन्दगी हौले धीरे
पुरानी किताब के पन्नो मैं दबी
गुलाब की पत्तियां सूखी सी
कुछ पानी डाल कर प्याले में
सजा दी तिपाई पर
खुशबु सी उडी कमरे में
और साथ ही........
कुछ रद्दो - बदल कर यूँही
गुज़रती रही ज़िन्दगी हौले धीरे
एक लहर उठी धीमी सी
कुछ बीते अफ़सानो की
यादें दोहरा कर
धुन सी छिड़ी कमरे में
और साथ ही........
कुछ रद्दो - बदल कर यूँही
गुज़रती रही ज़िन्दगी हौले धीरे
3 comments:
madam,aap to acchhi khasi shayar ho,kabhi bataya nahi aapne.good good keep it up.
kuch rad.do.badal kar yunhi guzarti rahizindgai hule dheere....waah kya kahen...bahot umda...bahot khoob...keep it u. Hope to see more gems from u...
bahut khoob likha hai aapne
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