जो साथ कभी देखे थे हमने
कुछ ख्वाब सुनहरे रख्खे हैं
जो साथ बिताए थे हमने
कुछ पल रुपहले रख्खे हैं
इन मीठी यादों से भरकर
एक खज़ाना रख्खा है
जीवन के पथ पर चलकर
रस मधुर सभी मैं बरसा कर
पग प्रेम प्यार विशवास सहित
ह्रदय सभी को लगा कर
एक दिन पहुंचेंगे उस संध्या पर
जब रीत चुका होगा सब कुछ
तब खोलेंगे अनमोल घरोहर
संचित है जो वर्षों से
फिर धीरे धीरे खरचेंगे
बहुमूल्य निधि के संचय को
जो मन को फिर हर्शायेगा
खाली दामन भर जायेगा
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