ह्रदय की हर एक शिरा में
अविरल बहती रस धारा हैं
व्याकुल मन में पीर बढाती
सुरों के इस लय ताल में
मद मस्त थिरकती विद्युत गति से
संगीत की ये स्वर लहरियाँ हैं
कभी मौन बनी किसी वेदना को
विचलित सी संवेदना को
हर एक भाव को शब्द देती
स्वरों से सुसज्जित कर के
कंठ से मुख तक आती
ह्रदय की ये अनुभूतियाँ हैं
ह्रदय से ह्रदय के सेतु को
कच्चे सूत से बांध कर
जीवन का संचार फूंकती
अव्यक्त व्रती का दर्पण बन
ईश का वंदन करने को
अकुलाती ये स्वरांजलियाँ हैं ..
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