सब हँसते हैं सब मुस्कुराते हैं
होता कुछ है कुछ और ही दिखाते हैं
ये जो जुगनू से चेहरे यहाँ टिमटिमाते हैं
वो हक़ीक़त मैं कुछ और ही बताते हैं
शायद ये दिल के शोलों की चिंगारी हैं
जो आँखों के पानी से बुझाते हैं
दबे दबे से गुबार मैं ही सही
हवा के झोंको से फूलों से बिखर जाते हैं
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