Thursday, October 21, 2010

मोहब्बत


















उनकी सूरत देख के 
ज़ज़्बातों मैं नए जोश 
जो भरने लगे हैं .... 
और अब दिल की ये आरज़ू है 
कि  गर बीच में ये फासले ना होते 
तू हम उन्हें अपने आगोश में  भरते 
उनकी पेशानी, अधरों और तन बदन को चूमते 
और उनके कदमो में सजदा करते ...... 


उनकी चाहत देख के 
हम भी कुछ होश 
अब खोने लगे हैं ...... 
और अब ये आलम है 
कि  गर बीच में ये फासले ना होते
तो हम भी वही सब उनके साथ करते
उनकी मोहब्बत का उसी बेबाकी से जवाब देते 
और उन्हें ऐसे जाने न देते ......