Wednesday, March 28, 2018

आओ सूरज उगाएं





अंधेरों से बाहर निकलने के लिए 
तलाश है हम  सबको एक सूरज की 
क्यों ना  उगाये एक सूरज हम खुद 
अपने मन के आँगन में 
करने को रोशन हर अँधेरा कोना 
छिटका कर किरणे आत्मा विश्वास की 


पर कैसे उगाये इस सूरज को 
कौन सा बीज डाले, कौन सी खाद 
अगर कुचले  स्वप्नों के खंडित  बीज डालेंगे
तो कोपल कहाँ से फूटेंगी 
बचा कर रखो कोई एक स्वप्न 
जो बो सके बीज अपने सूरज का  


और खाद बनेंगे वही सारे 
टूटे कुचले खंडित स्वप्न 
जो रोपेंगे उस एक दिव्य स्वप्न को 
बचा कर रखो आग ऊर्जा देने को 
सूरज की तेजी के लिए 
व्यर्थ कुछ नहीं है 


सींचना होगा सूखी बंजर 
मन -धरती को हर रोज़ 
रिसते रिसते  भावो से 
एक पतली  धारा पानी की जब 
कर देती सूराख पत्थर  में 
निरंतरता में बल है