Sunday, March 29, 2015

" मौसम "



तेरी याद का मौसम आता है हर रोज़ मेरे वीराने में
कुछ फूल बिछा कर जाता है मेरी उजड़ी हुयी मजारो पर

जब शाम सुनहरी ढलती है और स्याह अँधेरा भरता है 
तेरी याद के दीपक जल जल कर मेरी रात को रोशन करते है

है चाँद मैं भी वो आब कहाँ जो थाम सके मेरी नज़रों को
वो ठहर गयीं लब -ए -तस्वीर तेरी ,कहीं बोल पड़े अनजाने में