Wednesday, June 27, 2012

नया सवेरा




कदम कदम पे रुक जाते हो 
ठोकर से क्यों घबराते हो 
फिर सर को उठा ,
फिर संभल ज़रा ,
फिर आगे बढ़ ... 
तुम कमजोरी को ताक़त में बदलो 
एक नया सवेरा होगा .......................


सोते - जगते कँप जाते हो 
सपनो से क्यों डर  जाते हो 
फिर नज़र उठा ,
फिर देख ज़रा ,
फिर कोशिश कर .......
तुम सपनो को हक़ीक़त में बदलो 
एक नया सवेरा होगा .......................


हँसते हँसते रो जाते हो 
नाकामी से क्यों दुखियाते हो 
फिर आस जगा ,
फिर मन को सधा 
फिर मंथन कर ......
तुम हार को अपनी जीत में बदलो 
एक नया सवेरा होगा .......................