Sunday, May 27, 2012

किताब


तेरे नाम का हर्फ़ सिर्फ जिल्द पर लिखा था
अक्स इतना गहरा पड़ा 
कि हर पन्ने  पर तेरा नाम उकिर आया

तेरे चेहरे की फ़क़त लकीरें देखीं थी 
नक्श ऐसा बना 
की हर चेहरे में बस तेरा ही चेहरा नज़र आया

तेरी साँसों की महज़ ताब महसूस की थी 
बयार ऐसी बही 
कि मेरी ज़िन्दगी के मौसम वदल गए

तेरे लम्स की मामूली सी जुम्बिश ही तो थी 
उन्वान ऐसे बदले 
कि मैं पत्थर  से नगीने  में तबदील  हो गयी 




Meaning
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जिल्द  Book Cover  
अक्स - Reflection 
नक्श -Imprint 
ताब - Heat 
लम्स- the sense of  touch 
जुम्बिश - Tremor 
उन्वान - Title / Topic 







ख्याल





जिसके मन में बसी रहती हूँ 
वो ज़ज़्बात हूँ मैं 

जिसके होठों पे बरबस लरजती हूँ 
वो तबस्सुम हूँ मैं 

जिसकी आँखों से बूंदों सी बरसती हूँ 
वो नमी हूँ मैं 

जिसकी पलकों में छुपी रहती हूँ 
वो खवाब हूँ मैं 

जिसके सीने से लगी रहती हूँ 
वो याद हूँ मैं 

मेरी हस्ती अब मेरी कहाँ 
किसी का ख्याल हूँ मैं 

Saturday, May 5, 2012

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खो जाना चाहती हूँ इस भीड़ मैं ऐसे 
की खुद अपने निशाँ भी न  ढूंढ़ सकूँ जैसे 
धड़कने नाम कर दी उनके 
बाकी तो सासें हैं चलती जाएंगी.............


मिटा देना चाहती हूँ हर एहसास को ऐसे 
की खुद अपनी खबर भी न हो सके जैसे 
यादें साथ हैं उनकी 
बाकी तो ज़िन्दगी है कट जायेगी .............


भूल जाना चाहती हूँ अपना नाम भी ऐसे 
की साया भी पुकार न सके फिर जैसे 
रूह समा गयी उनकी 
बाकी तो  काया है बदल जायेगी ...........