Thursday, June 8, 2017

जाने कैसे





इतनी चुप मैं हो गयी कैसे ?
खुद से बाते करते करते।
टूट के सपने चुभ ना जाएँ,
जाने सब कब सो गए कैसे ?
जाने कैसे ? जाने कैसे ?

सांसें गिरवी हो गयी कैसे ?
दिल का पहरा करते करते।
आँख से आंसू गिर न पाए ,
मन जी भर के रो लिया कैसे ?
जाने कैसे ? जाने कैसे ?

इतने हिस्से बाँट गयी कैसे ?
पग पग संभल के चलते चलते।
जख्म किसी को दिख ना जाएँ।,
दर्द ही मरहम बन गया कैसे ?
जाने कैसे ? जाने कैसे ?
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खुद को जान लिया यूँ कैसे ?
तेरा चेहरा पढ़ते पढ़ते।
ना कोई कस्मे ,ना कोई बंधन,
मन के धागे जुड़ गए कैसे ?
जाने कैसे ? जाने कैसे ?