Monday, April 22, 2013

बंसी




श्याम तोहे बंसी बजावे न दूँगी 
तू बंसी बजाके मुझको बुलावे 
बंसी की धुन मोरी सुध बिसरावे 
ऐसे अब तुझको सतावे न दूँगी

अब तोहे  बंसी बजावे न दूँगी। ...  



कल शाम पनिया भरण जब आयी
 गगरी डुबोई, चुनरी भूल आयी 
घर पहुंचवे की जगह  बगिया हो आयी 
तूने अजब ऐसी बंसी बजायी 

अब तोहे  बंसी बजावे न दूँगी। ... 


सब सखिया ग्वाल- बाल देते हैं ताना 
मोहे ऐसे तू छल न करके बुलाना 
राधा तो तेरी है तेरी रहेगी 
तेरी छबि मेरे मन में बसी है 

पर, श्याम तोहे बंसी बजावे न दूँगी। ... 

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