Sunday, September 1, 2013

हाथों की लकीरें


उन  नज़रों की  चिलमन  ने 
एक  नया  पैराहन  दिया 
अब कोई और हमे कैसे  देखेगा 

उस  मखमली   हंसी  की छूअन  ने 

एक  ऐसा  एहसास  दिया 
अब  इससे  भी मुलायम  क्या  होगा 

उनको  पाने की हसरत  मैं 

हर  ख्वाहिश  से बेज़ार  हुए 
अब कोई और आरज़ू क्या होगी 

मेरे  हाथों  की लकीरों मैं 

उनका नाम जो पाया 
अब उससे भी ज्यादा किस्मत क्या देगी  

No comments: