Tuesday, October 10, 2017

दो राही


उफनते दरिया में बहते आये 
जाने कहाँ से 
दो अनजान राही 
कभी डूबते कभी उतराते 
विधि ना जानी


जो थामा हाथ 
मझधार मैं 
हौसले से ठानी 
अब बिना तूफानों से डरे 
गुज़रेगी ये ज़िंदगानी

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