Saturday, February 9, 2013

तुम्हारे लिए



कुछ फूल 
जो तुम्हे नज़र न कर सके 
आज भी गुलदान मैं 
सजाये हुए रखते हैं 

कुछ बातें 
जो तुम्हे कह न सके 
आज भी होठों में 
दबाये हुए रखते हैं 

कुछ तोहफे 
जो तुम्हे भेंट न कर सके 
आज भी अलमारी में 
छुपाये हुए रखते हैं 

कुछ आंसू 
जो तुम्हे देख न सके 
आज भी आँखों में 
छलक छलक  बहते हैं 

कुछ ख्वाब 
जो पूरे न हो सके 
आज भी रातों में 
जगाये हुए रखते हैं 

कुछ दुआएं 
जो तुम्हे दे न सके 
आज भी हाथों में 
उठाए हुए फिरते हैं 

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