Saturday, February 1, 2014

उम्मीद


तेरे आने कि कोई उम्मीद नहीं फिर भी 
हर राह पे चिराग जलाये रखते हैं 
कभी गुज़रे किसी और के संग ही तू
अश्क़ की बूंदों से फूल खिलाये रखते हैं

तुझसे मिलने कि मंज़ूरी नहीं फिर भी
एक अरमान सीने मैं दबाये रखते हैं
कभी मिल जाए अनायास ही कहीं
होठों पे एक हंसी सजाये रखते हैं

तुझे पाने कि हसरत तो नहीं फिर भी
एक आरज़ू दिल मैं छुपाये रखते हैं
कभी दामन छू जाए किस्मत से कहीं
एक लकीर हाथों मैं बनाये रखते हैं

तू भूल जाए , ऐसा तो नहीं फिर भी
अपने चेहरे से चिलमन उठाये रखते हैं
किसी राहगीर से मिल जाए सूरत तेरी
यही सोच कर तलाश अब भी जारी रखते हैं 

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