Tuesday, February 18, 2014

टूटता तारा ~~~~ ●๋•


आकाश मैं टिमटिमाते अनगिनत तारे 
सबके मन को लगते हैं प्यारे 
हर रात चमकते नील गगन पर 
आकाश कि शोभा बढ़ाते 
चंदा को सब चारों ओर से घेरे 
रोज़ नयी महफ़िल सजाते 
पर एक छोटा सा टूटता तारा 
सब से अलग सब से नयारा 
जो विलीन होने से पहले 
कितने लोगों कि मन्नत पूरी करता हुआ 
खो जाता है कहीं 
अनजान बेनाम बिना कोई पहचान लिए 
असीम अंधेरो मैं गुम होकर 
उस गुमनाम तारे को 
जो अपने अस्तित्व को मिटा कर 
दूसरों को खुशी  दे गया 
मेरा शत-शत प्रणाम !


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