Saturday, March 22, 2014

किस्मत



एक तुम्हे पाने के लिए 
जाने कितने जतन किये 
सबको रुसवा कर बैठे 
बस तुमसे लगन लगा बैठे 
जग बैरी बन बिफ़र गया 
और सबकी तोहमत ले लिए 
दुनिया को बदलने की खातिर 
किस्मत को मनाने चल निकले 
बिन जाने, ये सोचे-समझे 
किस्मत मेरी गुलाम नहीं 
मैं किस्मत की बांदी हूँ 
मेरी इस नादानी के लिए 
खफा मुझसे, बस तुम ही नहीं  
खुद  , मैं  भी तो पशेमान हुई 

1 comment:

Anonymous said...

mere man jaisi baat
very nice