Saturday, January 19, 2019

काल चक्र



सूखे पत्ते की खड़खड़  
मानो पतझड़ का हो गान कोई 
मत मान करो, अभिमान हरो 
वक्त बदलते झड़ जाएगा 
उजड़ी डाल  पे बैठा  पंछी 
शंका से भर जाएगा
ले कर अपने नन्ने मुन्ने 
रैन बसेरा, उड़ जाएगा 

यह सीख भली है पतझड़ की 
गर जान ले जो  इंसान कोई 
घर का मुखिया , सिरमौर बड़ा 
बांधे सबको एक कड़ी 
स्नेह आशीष रखे छोटों पर 
दंभ -  क्रोध से उपजे बैर 
कर्म तुम्हारे आरी बन कर 
काट ना दे रिश्तों की डोर 

ये जो फेरहिस्त है मौसम की 
बस काल चक्र है सृष्टि का 
जो औरों को तुम देते हो 
वह वापस तुम ही पाओगे 
चाहे विधि अलग हो, भान जुदा 
है स्वर्ग यहीं, है नर्क यहीं 
मन की गठरी हलकी रखना 
बोझ तुम्हारे सर आएगा 

विचित्र बड़ा है नियम प्रभु का 
हर बात के लेखे जोखे हैं 
तुम देख रहे हो आज का जीवन 
बीते कल को भूल भले जा 
पिछली  गलती की सजा 
अगली पीढ़ी तक जाएगी
जो समय के रहते संभल गए तो 
क्षमा -याचना मिल जायेगी 

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मंजरी-  18 jan 2019 

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