Saturday, May 11, 2013

तन्हाई





क्यूँ डरते है लोग तन्हाई के नाम से 
मुझे तो अज़ीज़ है यही तन्हाई 
जिस में तेरे अक्स उभरते है 
और इन्ही अँधेरे कोनो में 
साये एकाकार हो जाते है 

अकेलेपन से बचने की कोशिश में 
ना जाने कितने तरीके अपनाते है 
पर ये तन्हाई की गूँज ही तो है 
जिस में खुद की आवाज़ सुनाई देती है 
और अपने आप से रूबरू हो पाते है 

तन्हाई से जितना दूर भागोगे 
ये उतनी पीछा करती आएगी 
जो मुस्कुरा कर इसे गले लगा लो 
तो ये मंथन के रास्ते दिखलाएगी 
चेतन से अवचेतन के सेतु बनाएगी 

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