Saturday, May 11, 2013

खज़ाना


जो  साथ कभी देखे थे हमने 
कुछ  ख्वाब सुनहरे रख्खे हैं 
जो साथ बिताए थे हमने 
कुछ पल  रुपहले रख्खे हैं 
 इन  मीठी यादों से भरकर 
एक खज़ाना रख्खा  है 


जीवन  के  पथ  पर चलकर 

रस मधुर सभी मैं बरसा कर 
पग प्रेम  प्यार  विशवास  सहित 
ह्रदय सभी को लगा कर 
एक दिन पहुंचेंगे उस संध्या पर 
जब रीत चुका होगा सब कुछ 


तब खोलेंगे अनमोल घरोहर 

संचित है जो वर्षों से 
फिर धीरे धीरे खरचेंगे 
बहुमूल्य निधि के संचय को 
जो मन को फिर हर्शायेगा 
खाली  दामन भर जायेगा 

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