Tuesday, September 27, 2016

मायने


क्यों ज़िन्दगी के मायने
इतने पेचीदे हो गए हैं 

कि सुलझाने में उलझनों को
हम और उलझ गए हैं
.
यकीन और भाईचारे
कदमो की धूल चट कर
मौकापरस्तों के आंगन में
ज़मींदोज़ हो गए हैं
.
जर, जोरू , जमीन के किस्से
सरेआम बेपर्दा हो कर
मोहल्ले के चौराहों पर
इश्तेहार बन गए हैं
.
खंजर की नोक पर टिकी है
रिश्तों की नब्ज़-ए -जान
एक चूक हुयी जरा सी
और खून बह रहे हैं
.
एक दूसरे पर फेंकते
इल्ज़ामात के शहतीर
वकीलों की फाइलों में
ज़ज़्बात रो रहे हैं
.
अपनी ही बेटियों को
बाजार में उतारते
दलाल के भेष में वालदेन
बोली लगा रहे हैं
.
ज़िन्दगी के मायने
कितने दहशतगार हो गए हैं
आदम-ए -परिवेश में
अब हैवान रह रहे हैं 

.

Meanings
मायने – sense / meaning
पेचीदे – complicated
ज़मींदोज़ - burried
नब्ज़-ए –जान – flow of  life
इल्ज़ामात - Blames
शहतीर – poisoned arrows
ज़ज़्बात – feelings
दहशतगार – fearful
आदम-ए –परिवेश – disguise of men

हैवान - devil




2 comments:

Anonymous said...

It's pretty good!
Please keep penning your thoughts on life.

Manjri said...

Thanks Sir / Ma'am